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om ka niyam | ओम का नियम क्या है ?

हेल्लो दोस्तों नमस्कार ! इस पोस्ट में आपका स्वागत है । आज के इस पोस्ट में हम ओम का नियम ( om ka niyam ) के बारे में चर्चा करेंगे । भौतिक विज्ञान का यह बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है, खास तौर पर यह 10  वी और 12 वी बोर्ड परीक्षा के लिए बहुत ही बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है इसलिए पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े । तो चलिए यह पोस्ट शुरू करते है और जानते है ओम का नियम क्या है om ka niyam , ओम का नियम लिखिए ।

ओम का नियम क्या है?

ओम का नियम  ( om ka niyam ) – यदि किसी चालक की भौतिक अवस्था ( जैसे – लम्बाई, ताप आदि ) में परिवर्तन न किया जाये तो, उसमे प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा उसके सिरों पर लगाये गए विभवान्तर के अनुक्रमानुपाति होती है ।

यदि चालक के सिरों पर लगाया गया विभवान्तर V और बहने वाली धारा I हो, तो

V∝I

या                                                                                         V = RI

यहाँ पर R एक नियतांक है, जिसे उस चालक का प्रतिरोध कहा जाता है ।

ओम का नियम ( Ohm’s Law in Hindi )

ओह्य का नियम (Ohm’s Law) – पहले हम जान चुके हैं, कि जब किसी चालक के सिरों पर विभवान्तर लगाया जाता है, तो चालक से विद्युत् धारा बहती है।

किसी चालक में विद्युत् प्रवाह सम्बन्धी नियम का प्रतिपादन सन् “1826 में जर्मन वैज्ञानिक डॉ. जार्ज साइमन ओह्य” ने किया जिसके अनुसार,
“यदि चालक की भौतिक अवस्था (विशेषतः ताप) न बदली जाये तो उसके सिरों पर लगाये गये विभवान्तर तथा उसमें बहने वाली विद्युत् धारा का अनुपात नियत होता है, जिसे उस चालक का प्रतिरोध कहते हैं।”
यदि किसी चालक के सिरों के मध्य विभवान्तर V आरोपित करने से उसमें प्रवाहित धारा । हो, तो

V/I = R

यहाँ R उस दिये गये चालक का प्रतिरोध है। निश्चित ताप पर दिये गये चालक के लिए इसका मान नियत होता है। यह चालक का वह गुण है, जोकि उस चालक से विद्युत् प्रवाह में रुकावट उत्पन्न करता है। प्रतिरोध का S.I. मात्रक ओम है।

यदि विभवान्तर V तथा धारा के बीच एक ग्राफ खींचा जाये, तो  मूल बिन्दु से गुजरती एक सरल रेखा प्राप्त होती है। ध्यान रहे कि  ओम का नियम ( om ka niyam ) केवल धात्विक चालकों के लिए ही सत्य है।

V/I = R

यहाँ R उस दिये गये चालक का प्रतिरोध है। निश्चित ताप पर दिये गये चालक के लिए इसका मान नियत होता है। यह चालक का वह गुण है, जोकि उस चालक से विद्युत् प्रवाह में रुकावट उत्पन्न करता है। प्रतिरोध का S.I. मात्रक ओम है

यदि विभवान्तर V तथा धारा I के बीच एक ग्राफ खींचा जाये, तो मूल बिन्दु से गुजरती एक सरल रेखा प्राप्त होती है। ध्यान रहे कि ओम का नियम ( om ka niyam ) केवल धात्विक चालकों के लिए ही सत्य है।

ओम के नियम की परिभाषा ( Definition of ohm’s law in Hindi )

om ka niyam – यदि किसी चालक की भौतिक अवस्थाएं जैसे ताप, दाब, लंबाई, क्षेत्रफल आदि में परिवर्तन न किया जाये, तो उसके सिरों के मध्य उत्पन्न होने वाला विभवान्तर प्रवाहित विद्युत् धारा के समानुपाती होता है।

Ohm’s Law in Hindi ( ओम का नियम )

जब असमान विभव वाले चालकों को एक चालक तार द्वारा जोड़ा जाता है तो तार में धारा प्रवाहित होने लगती है। इसी प्रकार जब किसी सेल को विद्युत परिपथ में जोड़ा जाता है, तो सेल के धन और ऋण ध्रुव के बीच विभवांतर होने से परिपथ में धारा बहने लगती है। अतः स्पष्ट है कि किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर और उसमें प्रवाहित विद्युत धारा के बीच है।

सन् 1827 में जर्मन भौतिक विज्ञानी जार्ज साइमन ओहम ने किसी धातु के तार में प्रवाहित विद्युत धारा तथा उसक सिरों के बीच विभवांतर में परस्पर संबंध का पता लगाया तथा बताया कि यदि चालक की भौतिक परिस्थितियों में कोई परिवर्तन न हो तो चालक के सिरों के बीच उत्पन्न विभवांतर, चालक में प्रवाहित विद्युत धारा के अनुक्रमानुपाती होता है। यही ओम का नियम ( om ka niyam ) कहलाता है।
यदि चालक में I एम्पियर की धारा प्रवाहित करने पर उसके सिरों के बीच V वोल्ट का विभवांतर उत्पन्न होता है, तो इस नियमानुसार –

V=RI या R =V/I
यहाँ R एक नियतांक है, जिसे चालक का प्रतिरोध कहते हैं। उसका मात्रक ओह्म होता है। ओह्म को Ω से प्रदर्शित करते हैं।

ओम के नियम की सीमाएं (Limitations of Ohm’s Law In Hindi)

ओम के नियम की सीमाएँ – ओम के नियम ( om ka niyam ) की प्रमुख सीमायें निम्न है –

ओम का नियम ( om ka niyam ) केवल तभी लागु होता है जबकि

  • चालक की भौतिक अवस्था जैसे ताप, दाब आदि नहीं बदलती हो और
  • चालक में विकृति उत्पन्न नहीं होती हो ।
  • एक चालक तभी ओम के नियम का पालन करता है जबकि उसके पदार्थ की प्रतिरोधकता, उस पर आरोपित विभवान्तर पर निर्भर न करती हो ।

FAQ’s

1. ओम का नियम लिखिए ?

ओम के नियमनुसार – “ यदि किसी चालक की भौतिक अवस्था ( जैसे - ताप दाब ) में कोई परिवर्तन न हो तो उसके सिरों पर लगाये गए विभवान्तर तथा उसमे बहने वाली धारा का अनुपात नियत होता है । “

2. ओम का नियम का सूत्र क्या है ?

V = IR जहाँ V विभवान्तर, I धारा तथा R एक नियतांक है ।

3. ओम का नियम क्या है परिभाषा दीजिए?

यदि किसी चालक की भौतिक अवस्थाएं जैसे ताप, दाब, लंबाई, क्षेत्रफल आदि में कोई परिवर्तन न हो, तो उसके सिरों के मध्य उत्पन्न होने वाला विभवान्तर उसमे प्रवाहित विद्युत् धारा के समानुपाती होता है।

4. ओम किसकी इकाई है?

प्रतिरोध Ω

5. ओम का नियम क्या है ?

ओम का नियम - यदि किसी चालक की भौतिक अवस्था ( जैसे - लम्बाई, ताप आदि ) में परिवर्तन न किया जाये तो, उसमे प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा उसके सिरों पर लगाये गए विभवान्तर के अनुक्रमानुपाति होती है ।

6. ओम के नियम का प्रतिपादन किस वैज्ञानिक ने किया था ?

सन् 1826 में जर्मन के वैज्ञानिक डॉ. जार्ज साइमन ओम (George Simon Ohm) ने ।

आज आपने सीखा

आशा है की यह पोस्ट आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे की ओम का नियम क्या है Ohm’s Law in Hindi ओम का नियम, om ka niyam । अगर आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई दिक्कत है तो आप हमें कमेंट करके जरुर बताएं हम आपकी मदद जरुर करेंगे । एसे ही भौतिक विज्ञान की जानकरी जानने के लिए क्लिक करें । om ka niyam, Ohm’s Law in Hindi, ओम का नियम ।

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