प्रिय पाठकों नमस्कार ! आज की इस पोस्ट में आपको तुलसीदास की काव्यगत विशेषताएं या tulsidas ki kavya visheshtayen को अच्छे से समझाया है यह प्रश्न आपसे परीक्षा में इस तरह से भी पूछा जा सकता है कि tulsidas ki kavyagat visheshta par prakash daliye या फिर पूछ सकता है tulsidas ji ki kavyagat visheshtaen bataiye इस तरह भी पूछा जा सकता है । परीक्षा की दृष्टि से यह महत्पूर्ण प्रश्न है इसलिए अंत तक जरुर पढ़े ।
तुलसीदास की काव्यगत विशेषताएँ
तुलसीदास की काव्यगत प्रमुख विशेषताएँ निम्न है –
- तुलसीदास जी ने अवधी एवं बृज दोनों भाषाओं में काव्य की रचना की है।
- इन्होंने अपने काव्य में दोहा, चौपाई, सोरठा, हरिगीतका एवं कवित्त आदि अनेक छंदों का प्रयोग किया है।
- तुलसीदास जी ने अपनी अधिकांश कृतियों में श्री राम के अनुपम गुणों का गान किया है।
- इनकी भक्ति दास्य भाव की है।
- इनकी कब रचना प्रबंध एवं मुक्त दोनों शैलियों में है।
- तुलसीदास जी की भाषा में प्राञ्जलता एवं परिष्कृतत्व का पूर्ण योग है।
- तुलसीदास ने अपनी काव्य रचनाओं में संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, उर्दू, फारसी, राजस्थानी, गुजराती, बुन्देलखण्डी, भोजपुरी आदि भाषाओं के शब्दों का भी उपयोग किया है।
- तुलसीदास ने अपने समय में प्रचलित लोकोक्तियों एवं मुहावरों का प्रयोग भी अपनी भाषा में खूब किया है। जिससे इनकी भाषा में सजीवता एवं सशक्तता देखने को मिलती है।
- तुलसीदास जी ने अपनी काव्य रचनाओं में अभिधा, व्यंजना और लक्षणा तीनों शब्द-शक्तियों का प्रयोग किया है।
उपर्युक्त विशेषताओं से पता चलता है, की गोस्वामी तुलसीदास का काव्य भाव पक्ष एवं कला पक्ष की दृष्टि से उदात्त है। उनके काव्य में दोनों का अपूर्व समन्वय देखने को मिलता है। रस योजना, भाषा, शब्द-शक्ति, अलंकार, छंद आदि की दृष्टि से उनका काव्य अप्रतिम है। तत्कालीन सभी काव्य-भाषाओं तथा शैलियों पर उनका समान अधिकार है। इसलिए अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध ने कुछ यूँ कहा-
‘कविता करके तुलसी न लसे
कविता लसी पा तुलसी की कला।’
तुलसीदास की काव्यगत विशेषताएं बताइए?
तुलसीदास जी को हिंदी साहित्य में एक महान कवि के रूप में जाना जाता है और उनके द्वारा रचित रामचरितमानस को भारतीय साहित्य की एक महत्त्वपूर्ण रचना के रूप में जाना जाता है। इस काव्य के बारे में अधिकतर लोगों को ज्ञात होता है। तुलसीदास जी के काव्य की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- रामकथा के विविध पहलूओं का संगम: तुलसीदास जी ने रामकथा के विभिन्न पहलूओं को अपनी रचना में समाहित किया है। इसके अलावा उन्होंने भक्ति और धर्म के संदेश को भी अपने काव्य में जोड़ा है।
- भक्ति और धर्म के महत्व को उजागर किया: तुलसीदास जी ने अपने काव्य में भक्ति और धर्म को बड़ा महत्व दिया है। उन्होंने रामचरितमानस के माध्यम से जनता को इन दोनों तत्वों के महत्व को समझाया है।
- साधारण जनता को भी सम्मिलित किया: तुलसीदास जी के द्वारा रचित काव्य में साधारण जनता को भी शामिल किया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से आम जनता को भक्ति के प्रति उजागर किया है।
निष्कर्ष –
आशा करता हूँ की यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपको मेरे द्वारा बताए गए महत्वपूर्ण प्रश्न तुलसीदास जी की काव्य की विशेषताएं समझ आ चुकी होगी ।