akarmak kriya kise kahate hain | अकर्मक क्रिया की परिभाषा, भेद

प्रिय पाठको नमस्कार ! आज के इस लेख में हम अकर्मक क्रिया किसे कहते है ? अकर्मक क्रिया के बारे में आसानी से समझेगे । जैसे की नाम से ही पता चल रहा की कर्म के बिना अर्थात जिस भी क्रिया में कर्म की जरूरत ना हो उसे अकर्मक क्रिया कहते है।  जैसे मोहन रोता है, यह एक अकर्मक क्रिया का उदहारण है । तो चलिए अब यह पोस्ट शुरू करते और विस्तार से जानते है की  akarmak kriya kise kahate hain 

अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं?

akarmak kriya kise kahate hain – जिन वाक्यों में जो क्रिया कर्म की अपेक्षा नहीं रखती, वो अकर्मक क्रिया कहलाती है ।   अकर्मक क्रिया दो शब्दों से मिलकर बना है अ+ कर्म। यानी जिस क्रिया में कर्म का अभाव हो, अर्थात जिसमें सटीक कर्म या कार्य या काम का पता न चलता हो वहां अकर्मक क्रिया होती है।

akarmak kriya kise kahate hain के बारे में आप जान ही गए है, की इनको कर्म की अपेक्षा नहीं होती है । अकर्मक क्रिया की परिभाषा के बारे में जानते है ।

अकर्मक क्रिया की परिभाषा (Akarmak Kriya Ki Paribhasha)

Akarmak Kriya Ki Paribhashaक्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया को कर्म कर्म की जरुरत न पड़ती हो, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। अकर्मक का अर्थ है कर्म रहित होना, अर्थात जिस वाक्य में अकर्मक क्रिया होगी उस वाक्य में कर्म नहीं होगा। जिस वाक्य में अकर्मक क्रिया होती है तो उसमे कर्म का प्रयोग किए बिना ही वाक्य का पूर्ण अर्थ स्पष्ट हो जाता है। जैसे:- मोहन खाता है।

इस वाक्य में कर्म का अभाव है केवल क्रिया (खाता या खाना) का ही पता चल रहा है इसलिए इस वाक्य में खाता शब्द अकर्मक क्रिया है। कर्म के बिना भी इसका भाव स्पष्ट पता चल रहा है, की इस वाक्य में क्रिया का सीधा संबंध कर्ता पर पड़ रहा है यानी कि मोहन पर क्रिया का सीधा प्रभाव पड़ रहा है।

अकर्मक क्रिया के भेद (Akarmak Kriya Ke Bhed)

Akarmak Kriya Ke Bhed – अकर्मक क्रिया के प्रकारों की बात करें तो ये दो प्रकार की होती है –

  1. पूर्ण अकर्मक तथा
  2. अपूर्ण अकर्मक

पूर्ण अकर्मक क्रिया – यहाँ पर पूर्ण से तात्पर्य इतना ही है, की अपूर्ण अकर्मक क्रिया अपने में ही पूर्ण होती है । इन्हें अपनी पूर्णता व्यक्त करने के लिए किसी दूसरे ( पूरक ) की आवश्यकता नहीं होती है । तथा पूर्ण अकर्मक क्रिया अपना कार्य करने में स्वतः पूर्ण होती है । जैसे – सोना, दौड़ना, हँसना, आना, जाना आदि सभी पूर्ण अकर्मक क्रियाएं है ।

पूर्ण अकर्मक क्रियायें भी दो प्रकार की होती है –

  • स्थिति/अवस्थाबोधक
  • गतिबोधक

स्थिति/अवस्थाबोधक – स्थिति य अवस्थाबोधक पूर्ण अकर्मक क्रियायें वे क्रियाएं होती है, जिनके द्वारा कर्ता की अवस्था या स्थिति या दशा का बोध होता है स्थिति य अवस्थाबोधक अकर्मक क्रियायें कहलाती है । जैसे –

  • बच्चा रो रहा है ।
  • लड़की हंस रही है ।
  • मोहन सो रहा है ।

गतिबोधक पूर्ण अकर्मक क्रिया – ये वे अकर्मक क्रियाएं होती है जिनको सम्पादित करते समय कर्ता गतिशील होता है । जैसे – दौड़ना, भागना, आना, जाना, तैरना, फिरना आदि ।

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पूर्ण अकर्मक क्रिया के उदाहरण 

  • बच्चा रो रहा है।
  •  बालक हँस रहे थे।
  • वह रात भर जागा ।
  • तोता आकाश में उड़ती है

अपूर्ण अकर्मक क्रिया – ये वे क्रियाएं होती है जो वाक्य में स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होकर अपना अर्थ पूर्ण रूप से व्यक्त नहीं कर पाती है । इस पूर्णता को पूरा करने के लिए इन्हें कर्ता से सम्बन्ध रखने वाले किसी दुसरे पूरक की आवश्यकता होती है । अर्थात इन क्रियाओं को अर्थ पूर्ण करने के लिए पूरक की आवश्यकता होती है जैसे – होना, बनना, निकलना आदि ।

अपूर्ण अकर्मक क्रिया के उदाहरण

  • बच्चा बीमार है ।
  • रानी बेईमान है ।
  • वह बेईमान निकला ।
  • वह व्यक्ति विदेशी लगता है।
  • रमेश बहादुर है।
  • धीरेन्द्र बेईमान निकला।
  • कौशल्या एक अच्छी लड़की थी।

यदि इन सभी वाक्यों में बीमार, बेईमान, निकला आदि पूरक शब्दों का प्रयोग न किया जाये तो वाक्य अधुरा लगता है ।

अकर्मक क्रिया की पहचान

अकर्मक क्रिया को पहचानने के लिए सबसे पहले वाक्य में प्रयुक्त क्रिया से पहले क्या लगाकर वाक्य को एक प्रश्न की तरह पढ़ें। यदि कर्म के रुप में जवाब नहीं मिले तो उस वाक्य में अकर्मक क्रिया जरूर होगी, अर्थात जिस वाक्य में कर्म उपस्थित नहीं होता उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया अकर्मक क्रिया होगी।

FAQ’s

1. अकर्मक क्रिया कितने प्रकार की होती हैं?

अकर्मक क्रिया दो प्रकार की होती है:- अपूर्ण अकर्मक क्रिया और पूर्ण अकर्मक क्रिया।

2. अकर्मक क्रिया कब सकर्मक बन जाती है?

जब अकर्मक क्रिया के साथ कर्म जोड़ दिया जाता है, तो तब अकर्मक क्रिया सकर्मक क्रिया बन जाती है ।

3. पूर्ण अकर्मक क्रिया की परिभाषा

यहाँ पर पूर्ण से तात्पर्य इतना ही है, की अपूर्ण अकर्मक क्रिया अपने में ही पूर्ण होती है ।

4. अपूर्ण अकर्मक क्रिया की परिभाषा

ये वे क्रियाएं होती है जो वाक्य में स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होकर अपना अर्थ पूर्ण रूप से व्यक्त नहीं कर पाती है ।

5. अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं?

वे क्रियाएं जिनके साथ कर्म न लगे तथा क्रिया का फल कर्ता में रहे, अकर्मक क्रिया कहलाती है ।

आज आपने सीखा

आशा कर्ता हूँ की यह पोस्ट आपको अच्छी लगी होगी ओर अब आप जान गए होंगे की अकर्मक क्रिया क्या होती है, अकर्मक क्रिया के भेद, अकर्मक क्रिया का अर्थ एवं अकर्मक क्रिया की परिभाषा तथा अकर्मक क्रिया किसे कहते है । अगर आपको इस पोस्ट akarmak kriya kise kahate hain से रिलेटेड अब भी कोई समस्या हो तो हमें कमेंट करके जरुर बताएं हमारी टीम आपकी मदद जरुर करेंगी । धन्यवाद

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