Table of Contents
For GRAMIN DAK SEVAK (GDS UPDATE ) AND INFO VISIT POST GDS
रस – Ras in Hindi
हेलो दोस्तों आपका इस पोस्ट में स्वागत है आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे की रस किसे कहते है, रस की परिभाषा एवं प्रकार , रस के उदाहरण तथा रस के प्रकार और स्थायीभाव आदि | तो चलिए शुरू करते है और जानते है की रस की निष्पत्ति कैसे हुई |
रस किसे कहते है ?
जब किसी गद्य या पद्य को पढ़ने या सुनने से श्रोता के मन में जो आनंद की अनुभूति होती है, उसी को रस कहते हैं। या सरल वा सीधे शब्दों में कहा जाये तो संगीत के क्षेत्र में हमारी इन्द्रीयों द्वारा प्राप्त आनंद का नाम ही रस है |
रस की परिभाषा –
रस को निम्नानुसार परिभाषित किया जा सकता है –
आचार्य भरतमुनि द्वारा रस की परिभाषा –
‘विभानुभावा व्यभिचारी संयोगाद्रस निष्पतिः’ अर्थात जब विभाव,अनुभाव और संचारी का आपस में संयोग होता है तब रस की निष्पत्ति होती है | सबसे पहले आचार्य भरतमुनि ने ही रस को परिभाषित किया था |
काव्य किसे कहते है ? खंडकाव्य, महाकाव्य परिभाषा | Poetry in Hindi
क्रिया विशेषण किसे कहते है , क्रिया विशेषण के भेद | Adverb in Hindi
शब्द किसे कहते है ? प्रकार, उदाहरण, शब्दों का वर्गीकरण
रस के प्रकार और स्थायी भाव
सामन्यतः रस के दस भेद होते है जो निम्न है –
- श्रृंगार रस
- हास्य रस
- करुण रस
- वीर रस
- रौद्र रस
- भयानक रस
- वीभत्स रस
- अदभुत रस
- शांत रस
- वात्सल्य रस
रस के अंग
रस के चार अवयव या अंग होते है जो निम्न है –
- स्थायी भाव
- विभाव
- अनुभाव
- संचारी भाव
स्थायी भाव
मानव ह्रदय में जो भाव सुप्त अवस्था में रहते है उन्हें स्थायीभाव कहा जाता है | ये स्थायीभाव स्थायी रूप से चित्त में स्थित रहते है, इसी कारण इन्हें स्थायीभाव कहते है | स्थायीभावो की संख्या 10 होती है |
विभाव
उत्तेजना के मूल कारन को विभाव कहते है | अर्थात स्थायीभाव का जो कारण होता है,उसे विभाव कहते है | यह दो प्रकार के होते है –
- आलंबन और
- उद्दीपन
अनुभाव
आश्रय की बाहरी चेष्टाओ को अनुभाव कहते है | अनुभाव के चार भेद होते है
संचारीभाव
आश्रय के मन ( चित्त ) में उत्पन्न होने वाले अस्थिर मनोविकारो को संचारिभाव कहते है| संचारिभाव स्थायीभाव के विकास में सहायक होते है, इनकी संख्या ३३ मानी गयी है |
श्रृंगार रस की परिभाषा
जब सहृदय के हृदय में रति नामक स्थाई भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है तो वह रस वह श्रृंगार रस का रूप धारण कर लेता है इसे रसराज भी कहा जाता है।
श्रृंगार रस के प्रकार
- संयोग श्रृंगार रस
- वियोग श्रृंगार रस
संयोग श्रृंगार की परिभाषा
संयोग श्रंगार का उदाहरण
राम को रूप निहारित जानकी कंगन के नग की परछाही |
याते सबै सुधि भूल गई, कर टेक रही पल टारति नाही ||
वियोग श्रृंगार रस की परिभाषा
जिस रचना में नायक नायिका के विछड़ने का वर्णन हो, वियोग श्रृंगार रस कहते हैं।
वियोग श्रंगार के उदाहरण –
बिनु गोपाल बेरिन भई कुज्जै|
तब ये लता लगती अति सीतल ,अब भई विषम ज्वाल की पुज्जे |
हास्य रस की परिभाषा
हास्य रस के उदाहरण –
इस दोड़- धूप में क्या रक्खा है, आराम करो ,आरम करो |
आराम जिन्दगी की कुंजी है , इससे न तपेदिक होती है |
आराम सुधा की एक बूँद है ,टंका दुबलापन खोती है |
आराम शब्द में राम छिपा , जो भव बंधन को खोता है |
आराम शब्द का ज्ञाता तो, विरला ही योगी होता है |
करुण रस की परिभाषा
करुण रस के उदाहरण-
हा वृधा के अतुल धन , हा ब्रधता के सहारे |
हा प्राणों के परमप्रिय ,हा एक मेरे दुलारे ||
हा शोभा के सदन सन हा रूप लावण्य बारे |
हा बेटा का ह्रदय धन हा नेत्र तारे हमारे ||
वीर रस की परिभाषा
वीर रस का उदहारण-
हे सारथे |है द्रोण क्या ,देवेन्द्र भी आकर अड़े ,
है खेल क्षत्रिय बालको का ,व्यूह भेदन कर लड़े|
में सत्य कहता हु सखे ,सुकुमार मत जानो मुझे ,
यमराज से भी युद्ध करो प्रस्तुत सदा मानो मुझे |
रौद्र रस की परिभाषा
रौद्र रस का उदाहरण-
श्रीकृष्ण सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे |
सब शोक अपना भूल कर ,करतल युगल मलने लगे ||
भयानक रस की परिभाषा
भयानक रस के उदाहरण –
एक और अजगरहि लखि,एक और म्रग्रराय |
विकल वटोही बीच ही ,परयो मूर्च्छा खाय ||
वीभत्स रस की परिभाषा
वीभत्स रस के उदाहरण-
पड़ा सड़क पर एक , भिखारी मेने देखा |
खून पीप उसके ,घावो से बहते देखा ||
भिन भिन करती .बीसों मक्खी चाट रही थी |
उड़ा रहा था कोढ़ी , जैसे काट रही थी ||
देखा जिसने उसको अपनी नाक सिकोड़ी |
घ्रणा करते निकल गया , न डाली कोड़ी ||
अद्भुत रस की परिभाषा
जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित विस्मय नामक स्थायी भाव का विभाव, अनुभाव, संचारी भाव के साथ संयोग होता है तो वह अदभुत रस का रूप धारण कर लेता है |
अदभुत रस के उदाहरण –
अखिल भुबन चर – अचर सब ,हरिमुख में लखि मातु |
चकित भई गद्गद वचन , विकसित द्रग पुलकातु ||
शांत रस की परिभाषा
जब सह्रदय के ह्रदय में स्थित निर्वेद नामक स्थायी भाव का विभाव, अनुभाव, संचारी भाव के साथ संयोग होता है तो वह शांत रस का रूप धारण कर लेता है |
शांत रस के उदाहरण –
बानी जगरानी की उदारता बखानी जाई ,
ऐसी मति उदित उदार कोन भई |
देवता प्रसिद्ध सिद्ध ऋषिराज तप्ब्रध ,
कहि – कहि हारे सब कहिन काहू लई |
वात्सल्य रस की परिभाषा
आचार्यो ने दसवां रस वात्सल्य रस को माना है जिसका स्थायी भाव संतान प्रेम होता है |
वात्सल्य रस के उदहारण-
बच्चे की प्यारी बाते ,किसे न भाति होगी ?
बालक की प्यारी आंखे, सबको प्यारी होगी ||
बालक की तुतली बोली ,स्नेह जगती मन मै,
हंसने रोने की लीला , रोमांच बढाती मन में ||
FAQ,s
1. रस के कितने प्रकार होते है ?
रस के दस प्रकार होते है |
2. रस के कितने अंग होते है ?
रस के 4 अंग होते है |
3. संचारी भावों की संख्या कितनी है ?
रस के संचारी भावों की संख्या 33 मानी गयी है |
4. दसवां रस किसे माना गया है ?
वात्सल्य रस को |
5. निर्वेद किस रस का स्थायी भाव है ?
निर्वेद शांत रस का स्थायी भाव है |
6.1. रस के आवश्यक तत्व कोन कोन से है ?
रस दशा ही ह्रदय का स्थाई भाव है इसके अलावा विभाव, अनुभाव एवं संचारी अथवा व्यभिचारी भाव इसके प्रमुख तत्व है
7. रस की निष्पत्ति किस प्रकार होती है ?
जब सह्रदय के ह्रदय में स्थाई भाव विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग करता है, तभी रस की निष्पत्ति होती है |
8. स्थायी भावों की संख्या कितनी होती है ?
स्थायी भावों की संख्या 10 होती है |
आपने क्या सीखा
आशा हैं की यह पोस्ट आपको अच्छे से समझ में आयी होंगी और अब आप जान गए होंगे की रस किसे कहते है और यह किय्ने प्रकार के होते है तथा विभाव, अनुभाव, सचारी भाव और स्थायी भाव क्या होते है | रस की परिभाषा एवं प्रकार , रस के उदाहरण तथा रस के प्रकार और स्थायीभाव आदि तथा रस की निष्पत्ति कैसे हुई |