Vachya Kitne Prakar Ke Hote Hain | वाच्य कितने प्रकार के होते हैं

हेल्लो दोस्तों नमस्कार ! इस पोस्ट में आपका स्वागत है । आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे की वाच्य के कितने प्रकार होते हैं ? तथा वाच्य किसे कहते है । यह प्रश्न एग्जाम की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है इसलिए पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े । तो चलिए पोस्ट शुरू करते है और अब जानते है, की Vachya Kitne Prakar Ke Hote Hain

वाच्य कितने प्रकार के होते हैं?

Vachya Kitne Prakar Ke Hote Hain – ‘वाच्य’ क्रिया का वह रूप है, जिसमे यह जाना जाता है की क्रिया का मुख्य विषय कर्ता है, कर्म है अथवा भाव है । वाच्य मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते है –

  1. कर्तृवाच्य
  2. कर्मवाच्य
  3. भाववाच्य।

Vachya Kitne Prakar Ke Hote Hain

आइये अब विस्तार से जानते है की वाच्य के तीन प्रकार कौन-कौन से है

  • कर्तृवाच्य ( Active Voice )
  • कर्मवाच्य ( passive Voice
  • भाववाच्य। ( Impersnonal Voice )

कर्तृवाच्य ( Active Voice ) – जिस वाच्य में क्रिया के लिंग तथा वचन कर्ता के अनुसार हो, उसे कर्तृवाच्य कहा जाता है । अथवा कर्तृवाच्य में क्रिया का सीधा सम्बन्ध कर्ता से होता है । इन वाक्यों में कर्ता की प्रधानता रहती है । इसमें क्रिया के लिए लिंग भी कर्ता से निर्धारित होते है ।

कर्तृवाच्य के प्रमुख उदहारण

  • राहुल पतंग उडाता है
  • राधिका चाय बनाती है
  • राधा कपडे धो रही है ।
  • मोहन विद्यालय जा रहा है ।

कर्मवाच्य ( passive Voice ) – क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की वाक्य में उसका प्रयोग कर्ता के लिंग, वचन के अनुसार न होकर कर्म के लिंग, वचन के अनुसार किया गया है, उसे कर्मवाच्य कहते है । अथवा कर्मवाच्य में क्रिया का सीधा सम्बन्ध कर्म से होता है और क्रिया का रूप कर्म के अनुसार बदलता है । इसकी मुख्य क्रिया सकर्मक क्रिया होती है ।

विशेष/note – हिंदी में प्रायः कर्तृवाच्य का ही प्रयोग होता है । कर्मवाच्य में कर्ता के बाद, से, द्वारा, के द्वारा का प्रयोग अधिकांश किया जाता है । कर्मवाच्य का प्रयोग सामन्यतः निम्न स्थितियों में होता है –

1 . जब कर्ता मालूम न हो या उसे बताने की आवश्यकता न हो, जैसे

  • चिट्ठियाँ भेजी गई ।
  • फोज में हजारो नोजवान भर्ती हो गए ।

2. कार्यालयों के आदेशों में, जैसे

  • सभी सम्बंधित अधिकारीयों को सूचित किया जाता है ।
  • सभी छात्रों को सूचना दी जाती है…

3. जहाँ कानूनी भाषा का प्रयोग किया गया है । जैसे –

  • इस मुकदमे की कार्यवाही आरम्भ की जाये

4. असमर्थता बताने के लिए । जैसे –

  • वह आगे पढाई जारी नहीं रख सकेगी ।

5. सुझाव देने के लिए

  • फिर एसा न किया जाये
  • रोगी का इलाज न छोड़ा जाये ।

भाववाच्य। ( Impersnonal Voice ) – वाक्य में क्रिया का प्रयोग जब कर्ता या कर्म के लिंग, वचन के अनुसार न होकर भाव के अनुसार होता है, तो उसे भाववाच्य कहा जाता है ।

इसमें क्रिया के पुरुष, वचन, लिंग हमेशा अन्यपुरुष, एकवचन और पुल्लिंग में ही रहते है । इसमें कर्ता और कर्म की प्रधानता न होकर क्रिया की प्रधानता रहती है । वाक्य का भाव क्रिया आश्रित होता है ।

भाववाच्य के प्रमुख उदहारण

  • उससे पढ़ा नहीं जाता ।
  • सीता से चला नहीं जाता ।
  • क्या अब थोडा सो लिया जाये ।

वाच्य किसे कहते है – Vachya Ki Paribhasha

Voice in Hindi – क्रिया के जिस रूप से यह जाना जाए कि वाक्य में क्रिया का मुख्य सम्बन्ध कर्ता, कर्म या भाव से है, वह वाच्य कहलाता है  |

ये भी पढ़े – 

वाच्य परिवर्तन  ( change of voice in hindi )

अगर आप वाच्य परिवर्तन सीखना चाहते है तो आप इन नियमों को याद करके आसानी से वाच्य परिवर्तन को समझ सकते हो और आसानी से वाच्य परिवर्तन भी कर सकते हो ।

  1. कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाते समय मुख्य कर्ता के साथ से, द्वारा या के द्वारा जोड़कर उसे करण कारक बना दिया जाता है ।
  2. जा धातु के क्रिया रूप कर्मवाच्य की मुख्य क्रिया के लिंग, वचन आदि के साथ जोड़कर ‘ साधारण क्रिया ‘ को संयुक्त क्रिया ‘ बना दिया जाता है । जैसे – खाता है – खाया जाता है । को मारा – को मारा गया ।
  3. कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाते समय वाक्य में कर्ता और कर्म की प्रधानता होती है ।  जैसे – हँसता है – हंसा जाता है । खेला – खेला गया । इसमें क्रिया सदैव अन्य पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन में रहती है ।

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना : अगर आप कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना सीखना चाहते हो तो इन प्रमुख निम्न नियमों को हमेशा याद रखे ।

  1. कर्तृवाच्य की क्रिया को सामान्य भूतकाल में बदलिए ।
  2. कर्ता के साथ ‘से’  ‘द्वारा’ या ‘के द्वारा’ जोड़िये ।
  3. क्रिया के परिवर्तित रूप के साथ काल, पुरुष, लिंग तथा वचन के अनुसार ‘जाना’ क्रिया का रूप जोड़िये ।
  4. यदि कर्म के साथ कोई भी विभक्ति लगी हो तो उसे हटा दीजिये ।

कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना : अगर आप कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना सीखना चाहते हो तो इन प्रमुख निम्न नियमों को हमेशा याद रखे ।

  1. क्रिया को अन्य पुरुष एकवचन में कर दिया जाता है ।
  2. कर्ता में विभक्ति चिन्ह ‘से’ लगाया जाता है ।
  3. क्रिया को सामान्य भूतकाल में बदल दिया जाता है और काल के अनुसार ‘जाना’ क्रिया का रूप जोड़ दिया जाता है ।

FAQ’s

1. वाच्य के कितने भेद होते है ?

वाच्य मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते है – कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य।

2. Vachya Kitne Prakar Ke Hote Hain

वाच्य मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते है – कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य।

3. वाच्य के कितने प्रकार होते हैं?

वाच्य मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते है – कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य।

4. कर्तृवाच्य किसे कहते है ?

जिस वाच्य में क्रिया के लिंग तथा वचन कर्ता के अनुसार हो, उसे कर्तृवाच्य कहा जाता है ।

5. कर्मवाच्य किसे कहते है ?

क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की वाक्य में उसका प्रयोग कर्ता के लिंग, वचन के अनुसार न होकर कर्म के लिंग, वचन के अनुसार किया गया है, उसे कर्मवाच्य कहते है ।

6. भाववाच्य किसे कहते है ?

वाक्य में क्रिया का प्रयोग जब कर्ता या कर्म के लिंग, वचन के अनुसार न होकर भाव के अनुसार होता है, तो उसे भाववाच्य कहा जाता है ।

आज आपने सीखा

आशा है की यह पोस्ट आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे की वाच्य कितने प्रकार के होते हैं? तथा वाच्य किसे कहते है। वाच्य परिवर्तन तथा Vachya Kitne Prakar Ke Hote Hain । अगर आपको इस पोस्ट ( वाच्य ) से रिलेटेड कोई समस्या हो तो हमें कमेंट करके जरुर बताये  हम आपकी मदद जरुर करेंगे । धन्यवाद

 

 

 

 

 

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